Nirjala Ekadashi 2024: ग्रहों की दुर्लभ स्थिति,क्यों है यह खास?

Nirjala Ekadashi 2024: क्यों है यह खास?

Nirjala Ekadashi, जो भीमसेनी एकादशी और ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष एकादशी के नाम से भी जानी जाती है, 2024 में 19 जून को मनाई जाएगी। यह वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक है और इस बार इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

Nirjala Ekadashi

1. ग्रहों की स्थिति:

  • सूर्य ग्रह: इस बार निर्जला एकादशी के दिन सूर्य ग्रह मेष राशि में रहेंगे।
  • चंद्र ग्रह: चंद्रमा वृषभ राशि में होगा।
  • बुध ग्रह: बुध ग्रह मिथुन राशि में होगा।
  • गुरु ग्रह: गुरु ग्रह मीन राशि में होगा।
  • शुक्र ग्रह: शुक्र ग्रह वृषभ राशि में होगा।
  • शनि ग्रह: शनि ग्रह मकर राशि में होगा।
  • राहु ग्रह: राहु ग्रह मेष राशि में होगा।
  • केतु ग्रह: केतु ग्रह तुला राशि में होगा।

ग्रहों की यह स्थिति निर्जला एकादशी को अत्यंत शुभ बनाती है।

2. शुभ योग:

इस बार Nirjala Ekadashi के दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं:

  • रवि योग: यह योग सूर्योदय से लेकर पूर्वाह्न 10:34 बजे तक रहेगा।
  • अहंकार योग: यह योग पूर्वाह्न 10:34 बजे से लेकर दोपहर 12:22 बजे तक रहेगा।
  • गजकेसरी योग: यह योग दोपहर 12:22 बजे से लेकर अपराह्न 2:10 बजे तक रहेगा।
  • विष्कुंभ योग: यह योग अपराह्न 2:10 बजे से लेकर शाम 4:58 बजे तक रहेगा।
  • प्रीति योग: यह योग शाम 4:58 बजे से लेकर रात्रि 7:46 बजे तक रहेगा।

इन शुभ योगों का प्रभाव निर्जला एकादशी के व्रत को और भी फलदायी बनाता है।

3. पुण्य लाभ:

  • Nirjala Ekadashi के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है।
  • निर्जला एकादशी का व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।

निर्जला एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम, बनेंगे पाप के भागीदार

हिंदू धर्म में सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह वर्ष में दो बार आती है, एक जून में और दूसरी दिसंबर में। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। निर्जला एकादशी का व्रत बहुत कठिन होता है, क्योंकि इस दिन ना केवल अन्न और जल का त्याग करना होता है, बल्कि कई अन्य नियमों का भी पालन करना होता है।

Nirjala Ekadashi पर क्या करें:

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
  • दिन भर भगवान विष्णु के नाम का जाप करें।
  • धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
  • दान-पुण्य करें।
  • बुजुर्गों और गरीबों का सम्मान करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।

निर्जला एकादशी पर क्या न करें:

  • भूलकर भी ना तो जल ग्रहण करें और ना ही अन्न।
  • लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें।
  • झूठ बोलने, चोरी करने, गाली देने आदि पापों से दूर रहें।
  • किसी से भी विवाद न करें।
  • शारीरिक श्रम न करें।
  • दिन में सोना न।
  • मन को भटकने न दें।

Nirjala Ekadashi व्रत का महत्व:

  • निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
  • इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  • इस व्रत से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
  • इस व्रत से मन शांत होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

Nirjala Ekadashi व्रत की कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा हरिश्चंद्र ने अपने गुरु विश्वामित्र ऋषि के ऋण चुकाने के लिए अपने पुत्र रोहिताश्व को बेच दिया था। ऋषि ने रोहिताश्व को क्रोधित होकर श्राप दिया कि वह कुष्ठ रोग से ग्रस्त हो जाए। रोहिताश्व कुष्ठ रोग से पीड़ित होकर कई वर्षों तक भटकता रहा। एक दिन उसे निर्जला एकादशी का व्रत करने का पता चला। उसने निर्जला एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने रोहिताश्व को कुष्ठ रोग से मुक्ति प्रदान की।

निष्कर्ष:

निर्जला एकादशी का व्रत एक कठिन व्रत है, लेकिन इसका महत्व भी अत्यंत है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पापों का नाश होता है। यदि आप निर्जला एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं, तो आपको उपरोक्त नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।